
श्री भैरव पोटली-Shri Bhairav Potli
विवरण:
शास्त्रों के अनुसार भगवान काल भैरव का अवतरण मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन मध्याह्न में भगवान शिवशंकर के अंश से इनकी उत्पत्ति हुई थी जिन्हें शिव का पांचवा अवतार माना गया है। महादेव के रूद्र रूप कालभैरव को तंत्र का देवता माना गया है,इसलिए तंत्र-मंत्र की साधना निर्विघ्न संपन्न करने के लिए सबसे पहले काल भैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव शत्रुओं और संकट से भक्तों की रक्षा करते हैं। भगवान काल भैरव को भगवान शिव के रूद्र अवतार माना गया है। ऐसा माना जाता है तंत्र विद्या में भगवान भैरव की आराधना की जाती है। भैरव को भगवान शिव का अंश अवतार माना जाता है। इन्हे भूत-प्रेत और योगिनियों के स्वामी माना गया है। कलियुग में पग-पग पर व्यक्ति को बाधाओं, परेशानियों और शत्रुओं का सामना करना पडता है। ऐसी स्थिति में मंत्र साधना ही एक ऐसा मार्ग रह जाता है, जिसके द्वारा आप अपनी समस्याओं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते है।
श्री भैरव पोटली के लाभ:
✔️यह पोटलीआपके आसपास फैली नकारात्मक और बुरी शक्तियों को दूर कर सकारात्मकता लाता है।
✔️काला जादू, बुरी शक्तियां और बुरी आत्माओं से श्री भैरव पोटली आपकी रक्षा करता है।
✔️अगर आपको राहु के कारण परेशानियां झेलनी पड़ रहीं हैं या आपकी कुंडली में राहु नीच स्थान में बैठा है तो आपको श्री भैरव पोटली से अवश्य ही लाभ होगा।
✔️किसी भी प्रकार की बुरी नज़र और नकारात्मकता से श्री भैरव पोटली रक्षा प्रदान करता है।
✔️साथ ही यह यंत्र दरिद्रता, आत्मरक्षा में भी लाभकारी है।
प्रिय भक्तों के प्रशंसा पत्र !
स्थापना विधि:-
श्री भैरव पोटली की स्थापना सुबह उत्तर-पूर्व दिशा में घर, कार्यस्थल में "ॐ काल भैरवाय नमः" मंत्र का जाप करते हुए करनी चाहिए।
पोटली लेने की सम्पूर्ण प्रक्रिया।
01-पोटली का चयन करे।
02-अपनी जानकारी दर्ज करें और भुगतान करें।
03- पोटली दिए गए पते पर 3-4 दिनो मैं डिलीवरी कर दी जाएगी।